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Unsplash ग़ज़ल पारखी ने एक बार मेरी ग़ज़ल का ज़ायज़ा ल

Unsplash ग़ज़ल पारखी ने 
एक बार मेरी ग़ज़ल 
का ज़ायज़ा लेने के 
 बाद  अलोचना  यह कर दीं 
कि मुझे गज़ल लिखने 
का हुनर नहीं आता 
और मेरी  ग़ज़ल
को पद कर 
न किसी के 
दर्द 
 ने इज़ाफ़ा हैता है न किसी का 
दर्द 
 कम होता है

©Parasram Arora आलोचना
Unsplash ग़ज़ल पारखी ने 
एक बार मेरी ग़ज़ल 
का ज़ायज़ा लेने के 
 बाद  अलोचना  यह कर दीं 
कि मुझे गज़ल लिखने 
का हुनर नहीं आता 
और मेरी  ग़ज़ल
को पद कर 
न किसी के 
दर्द 
 ने इज़ाफ़ा हैता है न किसी का 
दर्द 
 कम होता है

©Parasram Arora आलोचना
parasramarora4891

Parasram Arora

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