कोई उलझन कोई उलझन तुमको भी उलझाती लगती है कोई रिश्तों की महक तुमको भी तो आती लगती है .. वो कोई साथ के लालच वो कोई वक्त की कशिश तुम्हारे दिल के आगे दिमाग ने अपनी चलाई लगती है.. वो हम हर बार कहते हैं क्यूं मंजिल की फिक्र करना तुम्हारे बचपने को दबाने समझदारी आई लगती है .. उसके चेहरे को देखो तो बस इंकार झलकता है निगाहों में अगर झांको तो राजी राजी लगती है .. ©Rishidev Bhardwaj #इंकार #राजी #betrayal