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हर तरफ चांद की चांदनी है हर तरफ रौशनी हीरौशनी है फ

हर तरफ चांद की चांदनी है
हर तरफ रौशनी हीरौशनी है
फिर भी मैं तनहा अकेला हूं
शायद किस्मत को मुझसे ही दुश्मनी है
अंधेरा है दिल में मेरे 
तड़पन रहती शाम सवेरे
कालिंदी के घने है पहरे
आकर मेरे दिल पर ठहरे
पीपल की उस सूखी डाल पर
बैठा चातक चीख रहा है
दूर से जलते घरोंदो को वो
भरी आंखों से देख रहा है
लुट गया जो संसार था उसका
बच्चे उसके प्यार वो उसका
अंधेरे ने लाखों ऐसे घरों को ऐसे फूंक दिया है
कालिंदी को भी उसने ही ये विकराल सा रूप दिया है
दूर खड़े परबत का चेहरा भी क्यू भयावह दिखता है
मैं हूं बैठा दूर कहीं मेरा सेहमा दिल ये लिखता है
चित्तकरें हैं चार दिशा से मुझको क्यू ये डरा रही हैं
रक्त मेरा है सूख रहा देखूं जब रात के पहरे को
काश समझ पाता मैं शीतल  श्यामल निशा (रात) के चेहरे को
लोग कसीदें पढ़ते हैं ये चांद नहीं है प्यार मेरा
देख घनेरी तमी (रात) का पहरा
जीना हुआ दुश्वार मेरा कालिंदी(रात) #darkpoetry #dark
हर तरफ चांद की चांदनी है
हर तरफ रौशनी हीरौशनी है
फिर भी मैं तनहा अकेला हूं
शायद किस्मत को मुझसे ही दुश्मनी है
अंधेरा है दिल में मेरे 
तड़पन रहती शाम सवेरे
कालिंदी के घने है पहरे
आकर मेरे दिल पर ठहरे
पीपल की उस सूखी डाल पर
बैठा चातक चीख रहा है
दूर से जलते घरोंदो को वो
भरी आंखों से देख रहा है
लुट गया जो संसार था उसका
बच्चे उसके प्यार वो उसका
अंधेरे ने लाखों ऐसे घरों को ऐसे फूंक दिया है
कालिंदी को भी उसने ही ये विकराल सा रूप दिया है
दूर खड़े परबत का चेहरा भी क्यू भयावह दिखता है
मैं हूं बैठा दूर कहीं मेरा सेहमा दिल ये लिखता है
चित्तकरें हैं चार दिशा से मुझको क्यू ये डरा रही हैं
रक्त मेरा है सूख रहा देखूं जब रात के पहरे को
काश समझ पाता मैं शीतल  श्यामल निशा (रात) के चेहरे को
लोग कसीदें पढ़ते हैं ये चांद नहीं है प्यार मेरा
देख घनेरी तमी (रात) का पहरा
जीना हुआ दुश्वार मेरा कालिंदी(रात) #darkpoetry #dark