उसी के याद की पुरवाइयाँ आवाज़ देती हैं । अभी तक गूँजती शहनाइयां आवाज़ देती हैं ।।१ लुटा दोनों जहाँ बैठे सुनो अब प्यार में जिसके । उसी के प्यार की तंहाइयाँ आवाज़ देती हैं ।।२ भुलाया ही नही जिसको उसे हम याद क्या करते । वफ़ा के राह की बदनामियाँ आवाज़ देती हैं ।।३ हुआ हासिल नही कुछ भी मुझे इस ज़िंदगी से फिर । मिलाकर आँख जब नाकामियां आवाज़ देती है ।।४ बहुत रोए तुम्हारे बाद दरख्तो से लिपटकर हम । कहें किससे कि अब सरगोशियां आवाज़ देती हैं ।।५ सिसक के रह गई साँसें वफ़ा की राह में देखो । बदलते हालात की खामोशियाँ आवाज़ देती है ।।६ खिले थे फूल बागों में वफ़ा का रूप ही लेकर । दगा करके जहाँ तितलियां आवाज़ देती हैं ।।७ कदर की ही नही उसने कभी भी प्यार की मेरे । अभी तक तो वही नादानियाँ आवाज़ देती हैं ।।८ कभी तो याद कर लो अब प्रखर को शाम ही ढ़लते । तुम्हारी ही सुनो मनमानियां आवाज़ देती हैं ।।९ ०१/१२/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Fire उसी के याद की पुरवाइयाँ आवाज़ देती हैं । अभी तक गूँजती शहनाइयां आवाज़ देती हैं ।।१ लुटा दोनों जहाँ बैठे सुनो अब प्यार में जिसके । उसी के प्यार की तंहाइयाँ आवाज़ देती हैं ।।२ भुलाया ही नही जिसको उसे हम याद क्या करते । वफ़ा के राह की बदनामियाँ आवाज़ देती हैं ।।३