White रख लिया हथियार इक तैयार कर के मार देंगे पर मुझे बीमार कर के कश्तियों की बस्तियों में क्या रुके हम डूबने वाले हैं दरिया पार कर के मौत के सामान को पूजा करूँगा ज़िंदगी दे दूँगा ख़ुद को मार कर के आदमी की ज़ात से डरने लगा हूँ ये मुझे जो खा रहे हैं प्यार कर के हम कि जो नुक़्सान झेले जा रहे हैं क्या करेंगे इश्क़ का व्यौपार कर के पर्वतों को ज़ख़्म गहरे दे दिये हैं पानियों से पत्थरों पर वार कर के मौत की चाहत को ज़िंदा कर लिया क्या एक इस मरघट को यूँ घर-बार कर के अब ज़मीं पे आ गया पागल परिंदा ख़्वाब जो देखे थे वो दो चार कर के ©nakul Kumar शायरी हिंदी में गम भरी शायरी शायरी लव शायरी शायरी दर्द