ख़्वाहिश बचपन मे सब ख्वाहिशे थी अब तो बस जरूरते ही बची है यहां, जिन्हें पूरा करने में इंसान मशीन बन गया है जब इंसान ही नही बचा तो ख्वाहिशे क्या खाक बचेंगी #ख्वाहिश #शायरी #कविता #हिंदी