बन्धन और विखण्डन शिव हैं ! अनुबन्धों के चन्दन शिव हैं !! जनी नयन की भाषा शिव से ! होती दूर निराशा शिव से !! विश्वासों के अजर अमर का ! प्रेम नाम है शिव शंकर का !! शिव रहते आँखों के जल में ! शिव हिरदय की उथल पुथल में !! सबकी किस्मत रचते शम्भू ! मयखानों में बसते शम्भू !! काम शुद्धता गंगाधर का ! प्रेम नाम है शिव शंकर का !! कवि-रणवीर सिंह चारण भदौरा,नागौर,राजस्थान (हॉल-पिपाड़ शहर जौधपूर) मौ.9680745147 प्रेम नाम है शिव शंकर का !!