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चर्चा सुनी तेरे भी विष पीने की फ़िर अमृत तुझसे ही क

चर्चा सुनी तेरे भी विष पीने की
फ़िर अमृत तुझसे ही काटा गया

अब तू ही दे भोले उम्मीद जीने की
सोच अमृत, मैं विष को लाता गया

ना जानूँ मैं पूजा ना जानूँ विधि
ना ज्ञानी हूँ तंन्त्रों मन्त्रों का
कैसे कहूँ तुझसे बात अपनी
मैं चौतरफ़ा विष से हूँ भरा
अब तू ही है उम्मीद जीने की
चर्चा सुनी तेरे भी विष पीने की

©Sandeep Sati #दोटूक #shivay Traveling poet 🎠