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क्या वो चांद थीं मेरे जीवन की या थीं उसकी परछाई, क

क्या वो चांद थीं मेरे जीवन की या थीं उसकी परछाई,
क्या तब वो मेरी ही थीं या हमेशा से ही थीं पराई,
ना जाने किस बात की मुझे मिली इतनी बड़ी सजा,
कि यहां छाया था मातम और वहां बज रहीं थीं शहनाई। वो कौन थी
क्या वो चांद थीं मेरे जीवन की या थीं उसकी परछाई,
क्या तब वो मेरी ही थीं या हमेशा से ही थीं पराई,
ना जाने किस बात की मुझे मिली इतनी बड़ी सजा,
कि यहां छाया था मातम और वहां बज रहीं थीं शहनाई। वो कौन थी
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devarshi

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