White बैठकर बेवफाई के आहों तले उसके जाने का मातम मनाता रहा सुनने वाला बचा था मुझे न कोई फिर अकेले ही मैं गीत गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... सुुबह में शाम में डूबता जाम में जिंदगी जी रहा था मैं गुमनाम में कोई पागल कहे और अवारा कोई सबको सुनता और आंसू बहाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... मैं था राही भटक कर कहां खो गया लोग कहते हैं मै क्या से क्या हो गया छिप रहीं मेरी चीखें जो बेबस बनीं उनको गीतों में लिखता और गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... तेरी यादों में गिरते जो आंसू मेरे उनको इक इक संजोकरके गढ़ता रहा तेरे मिलने बिछड़ने के पत्रों को मैं रात भर जाग करके यूं पढ़ता रहा अपने गिरते हुए आंसुओं में भी मैं याद करके तुम्हें मुस्कुराता रहा सुनने वाला बचा था मुझे न कोई फिर अकेले ही मैं गीत गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा...... ©Shubham Mishra #sad_shayari shubham mishra