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आज भी यादहैं बचपन की बातें जब सब मिलकर खेला करते थ

आज भी यादहैं बचपन की बातें जब सब मिलकर खेला करते थे
सभी मिल गोल गोल चकरी खा खा कर गाना गुनगुनाते थे।
मुंह ऊपर कर जोर जोर से बारिश को जब सभी बुलाते थे।
मेघ बाबा आजा घी की बाटी खा जा मेघ बाबा आजा आजा
विश्वास इतना पक्का था बारिशकीजब बूंदे चेहरे पर आती थी
चारों और घनघोर घटाए छा कर ज़ोर सेबारिश भी आ जाती थी
 सब मिल जोर से फिर से गाते थे। और भीं धर से निकलआते थे
कहीं मोर की पीहू पीहू की आवाजतो मेंडक भीं टर्र टर्र करते थे
हम बच्चें मिल सब उनकी नकल भी उतार लिया करते थे
 जोर की बारिश मेंबाल्टी पानी भर लाते हुए छप छप करते थे
पहले के जमाने मे कहां घर मे पानीके टैंक हुआ करते थे।
कुछ मटकियों में तो कई बाल्टियों मे पानी रख लिया करते थे
जब याद आती गाय नहीं आई घर पर बारिश में दुखी होते थे
वहीं फिर मेघ बाबा से रुकने की गुजारिश किया करते थे।
पशु भी हमारा परिवार वाले थे। तकलीफ़ मेंनहींदेख सकते थे।
वहीं रो कर मेघ बाबा मत आ घी की बाटी मत खा कहते थे।
जब आती रंभाने की आवाज़ तो गले मिल रोया करते थे।
आज भीं याद है बचपन की बात जब सब मिल कर खेला करते थे

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma 
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