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"अपनी कण कण में बिखरीं निधियाँ न कभी पहिचानीं; मेर

"अपनी कण कण में बिखरीं
निधियाँ न कभी पहिचानीं;
मेरा लघु अपनापन है
लघुता की अकथ कहानी।

मैं दिन को ढूँढ रही हूँ
जुगनू की उजियाली में;
मन मांग रहा है मेरा
सिकता हीरक प्याली में!"¹

©HintsOfHeart.
  #महादेवी_वर्मा   #महिलादिवस