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#MyPoetry मुक्तक गुनगुनी धूप में, शरबती छाँव में

#MyPoetry
मुक्तक

गुनगुनी धूप में, शरबती छाँव में 
मैं मिलूंगा प्रिये गीत के गाँव में 
तेरी छम-छम की धुन सुन सकूं इसलिए-
आ भी जा तू पैजनिया लिए पाँव में 
✍©#सुरेन्द्र_कुमार_शर्मा

#MyPoetry मुक्तक गुनगुनी धूप में, शरबती छाँव में मैं मिलूंगा प्रिये गीत के गाँव में तेरी छम-छम की धुन सुन सकूं इसलिए- आ भी जा तू पैजनिया लिए पाँव में ✍©सुरेन्द्र_कुमार_शर्मा

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