सरस् सुधा बरसाओ मत स्वप्निल संसार सजाओ मत इस मरु प्रदेश मे सिर्फ रेत क़े टीले है नाकामी क़े बजरे इसी ज़मीन पर खडे है. अंतहीन क्षितिजों क़ि लम्बाई नापलो यहां से मृत हो चुके समयों को देखलो फिरसे उद्वेग भरे मन का तूफानी ऊफान देखलो फिर से स्मृतियों की सत्ता किसी ममी की तरह सुरक्षित है यहां पर l # सरस् सुधा बरसाओ मत......