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पल्लव की डायरी स्वर लय ताल मिले जब जब सात स्वर झूम

पल्लव की डायरी
स्वर लय ताल मिले जब जब
सात स्वर झूमने लगते है
आत्म विभोर होकर
रोम रोम पुलकित होने लगते है
चेतनाओं को  छूकर ह्रदय कमल खिलने लगते है
ऐसे गीत गजल ही, मन को मुग्ध कर देते है
तानसेन जैसे रियाज करके
चमत्कृत संगीत कला कर देते है
मीरा ने भजनों से जुड़कर
अपने आराध्य को अर्घ देकर
स्वीकृत प्रेम कर लेती है
                                प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
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