#FourLinePoetry ज़ो छिन जाए उसे पूँजी कहते है जिसे चुराया जा सकता है जिसका आज मूल्य है और कल निरमूल्य हौ जाए उसे पूँजी कहते है वास्तविक पूँजी तो वो जिसका शाश्वत मूल्य हौ असली पूँजी तो भीतर की होती है बाहर की नही और असली पूँजी की न चोरी हौ सकती है न वो पूँजी छीनी जा सकती है ©Parasram Arora वास्तविक पूँजी......