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#FourLinePoetry ज़ो छिन जाए उसे पूँजी कहते है ज

#FourLinePoetry ज़ो  छिन जाए उसे  पूँजी   कहते है
जिसे चुराया जा सकता है
जिसका  आज मूल्य है  और कल निरमूल्य
हौ जाए
उसे पूँजी कहते है
वास्तविक  पूँजी  तो वो जिसका  शाश्वत मूल्य हौ
असली पूँजी तो  भीतर की होती है
बाहर  की  नही
और  असली  पूँजी  की न चोरी हौ सकती है
न वो पूँजी   छीनी   जा सकती है

©Parasram Arora वास्तविक  पूँजी......
#FourLinePoetry ज़ो  छिन जाए उसे  पूँजी   कहते है
जिसे चुराया जा सकता है
जिसका  आज मूल्य है  और कल निरमूल्य
हौ जाए
उसे पूँजी कहते है
वास्तविक  पूँजी  तो वो जिसका  शाश्वत मूल्य हौ
असली पूँजी तो  भीतर की होती है
बाहर  की  नही
और  असली  पूँजी  की न चोरी हौ सकती है
न वो पूँजी   छीनी   जा सकती है

©Parasram Arora वास्तविक  पूँजी......