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धुंधली शाम के मानिंद आंखें भी धुंधला चुकी हैं ओर इ

धुंधली शाम के मानिंद आंखें भी धुंधला चुकी हैं
ओर इस धुंधलेपन में मंजिल भी शायद धूमिल हो चुकी है
संध्या का सूरज जिस तरह डूब रहा  है,,
जैसे जैसे श्यामलता घटती जा रही है,
वैसे वैसे ही जिंदगी में शामिल ये तिमिर ये अंधकार भी
मुझमें और मैं इसमें डूबता जा रहा हूं,,

क्या पता किसी रोज इस 
संध्या की अंधेरी रात के पश्चात का 
भोर रूपी सवेरा होने ही ना पाए,,
क्या पता कब  वो क्षण आए जब 
ये सांझ ढलते ढलते जीवन की भी संध्या बेला को भी 
साथ में ढाल ले जाए,,,...

©Rakesh frnds4ever
  #Shajar 
#धुंधली  #शाम  के मानिंद आंखें भी धुंधला चुकी हैं
ओर इस धुंधलेपन में मंजिल भी शायद #धूमिल  हो चुकी है
#संध्या  का सूरज  जिस तरह डूब रहा  है,,
जैसे जैसे श्यामलता घटती जा रही है,
वैसे वैसे ही जिंदगी में शामिल ये तिमिर ये #अंधकार  भी
मुझमें और मैं इसमें डूबता जा रहा हूं,,

#Shajar #धुंधली #शाम के मानिंद आंखें भी धुंधला चुकी हैं ओर इस धुंधलेपन में मंजिल भी शायद #धूमिल हो चुकी है #संध्या का सूरज जिस तरह डूब रहा है,, जैसे जैसे श्यामलता घटती जा रही है, वैसे वैसे ही जिंदगी में शामिल ये तिमिर ये #अंधकार भी मुझमें और मैं इसमें डूबता जा रहा हूं,, #जीवन #ज़िन्दगी #सवेरा #भोर #rakeshfrnds4ever

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