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ग़ुस्से और नाराज़गी में अक्सर ज़ुबान से तल्ख़ बात

ग़ुस्से और नाराज़गी में अक्सर ज़ुबान से 
तल्ख़ बातें, तल्ख़ लहजे निकल जाते हैं ।
लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं की उस वक़्ती ग़ुस्से 
और नाराज़गी में दिल में रहने वाले लोग और उनके लिए 
दिल में मौजूद जज़्बात और एहसास भी बदल जाते हैं।
हाॅं मानती हूॅं मैं कि गुस्से और नाराज़गी में 
बहुत तल्ख़ बातें कही हैं मैंने भी उस से ,
लेकिन  मैं चाहे जितनी भी नाराज़ या ग़ुस्से में रहूॅं,
फ़िर भी उसके लिए मेरे जज़्बात और एहसास आज तक नहीं बदले।
इतनी क़द्र की है मैंने उसकी, कि मेरी ज़ुबान से शायद 
उसके लिए बुरे अल्फ़ाज़ भी कभी नहीं निकले।

लेकिन मेरी कही हुई हर बात के बाद, उस बात को समझे बिना ही 
उसके मेरे लिए जज़्बात बदल जाते हैं अगर ,
उसकी मोहब्बत हर बार नाराज़गी में बदल जाती है अगर,
और उसके दिल-ओ-ज़ुबान से मेरे लिए 
बुरे अल्फ़ाज़ ही निकलते हैं अगर , 
तो उसे ये ज़रूर सोचना चाहिए कि ... 
जिस मोहब्बत के वो दावे करता है,क्या वो मोहब्बत इसी को कहते है??

तल्ख़ लहजों और बुरे अल्फ़ाज़ों में बहुत फ़र्क़ होता है
इंसान को ये हमेशा याद रखना चाहिए।

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z
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