लाल टमाटर ने किया,आंखें सबकी लाल। मँहंगाई की मार से, कैसे सब बेहाल।। कैसे सब बेहाल,किसी को कुछ ना सूझे। स्वाद हुआ बेकार, पहेली कैसे बुझें।। राजा मंडी का बना,दिखाता नखरे भारी। कब जाएगी ऐंठ, टमाटर तेरी बारी।। राजेश श्रीवास्तव राज़ ©Rajesh Srivastava #Nojoto #कविता_के_छुपेरुस्तम