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चलो हम दोनों इन आंखों में तैरते सपनों की डोर थामकर

चलो हम दोनों इन आंखों में तैरते सपनों की डोर
थामकर चाहत की पतंग उड़ाते हैं क्षितिज की ओर

मेरा सामर्थ्य सार्थक हो गया मां थामकर तेरे हाथों को
छू ही लेंगे उस आसमान को सपनों में था अब तक जो
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  डोर

डोर #शायरी

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