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टूटा तारा आज गगन से,धूमिल होता जाता है। जीवन इसका

टूटा तारा आज गगन से,धूमिल होता जाता है।
जीवन इसका नाम नही है,जो पीछे पछताता है।।
जीवन की इस पगडंडी पर,धूमकेतु कई आते हैं।
सच्चा जीवन और सजीला, ध्रुव नाम कहलाता है।।
प्रभु की महिमा का कर ध्यान, जीवन का कर कल्याण।
क्षणभंगुर जीवन में तो बस यही सुहाता है ।।
तू भी मेरा, वह भी मेरा, दो दिन का है रैनबसेरा।
क्यों व्यर्थ कहावत गढ़ते हो,जब कुछ साथ नही जाना है।।

©Shubham Bhardwaj
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