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नामालूम कब से मुझ पर नज़र है उसकी जो मेरे पीछे से

नामालूम कब से मुझ पर नज़र है उसकी
जो मेरे पीछे से खींच कर मेरी तस्वीर भेज रहा है
ना पता मालूम मुझे उसका ना शक्ल ही देखी
जमाने में कैसा चलन यह आम हो रहा है
किसी रोज़ सुर्खियों में परवरिश शर्मसार ना हो जाएं 
बेटों के लिए क्यों घोड़े बेच कर परिवार सो रहा है 
माना तलाक का दौर है एक दूसरे को गिराने पर जोर है
निभाना कोई क्यूं चाहे जब गंठबंधन की गांठ ही कमजोर है
बालकों को मनमानी से रोकने से पहले खुद को तो रोकिए
उम्र के तकाजे के हिसाब से खुद को तो टोकिए
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla
  परवरिश

परवरिश #शायरी

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