Nojoto: Largest Storytelling Platform

कहने के लिए ख़ुद को मेरा कहते हो। जानती हूँ कितनी

कहने के लिए ख़ुद को मेरा कहते हो। 
जानती हूँ कितनी लड़कीओं में रहते हो। 

कहीं न कहीं आ टकराती है सब मुझसे, 
तुम जिन जिन की आँखों में बहते हो। 

मुझे बेवफ़ा ओ बदउनवान कहने वाले, 
मैं क्या झेल रही हूँ जो तुम सब सहते हो। 

मेरी जानिब से चाहते हो तमाम उम्र मेरी, 
ख़ुद आए रोज़ किसी आँचल में ढहते हो।

©Ritu Nisha #good_night  urdu poetry deep poetry in urdu poetry lovers poetry on love
कहने के लिए ख़ुद को मेरा कहते हो। 
जानती हूँ कितनी लड़कीओं में रहते हो। 

कहीं न कहीं आ टकराती है सब मुझसे, 
तुम जिन जिन की आँखों में बहते हो। 

मुझे बेवफ़ा ओ बदउनवान कहने वाले, 
मैं क्या झेल रही हूँ जो तुम सब सहते हो। 

मेरी जानिब से चाहते हो तमाम उम्र मेरी, 
ख़ुद आए रोज़ किसी आँचल में ढहते हो।

©Ritu Nisha #good_night  urdu poetry deep poetry in urdu poetry lovers poetry on love
ritusharma9326

Ritu Nisha

New Creator
streak icon4