कहने के लिए ख़ुद को मेरा कहते हो। जानती हूँ कितनी लड़कीओं में रहते हो। कहीं न कहीं आ टकराती है सब मुझसे, तुम जिन जिन की आँखों में बहते हो। मुझे बेवफ़ा ओ बदउनवान कहने वाले, मैं क्या झेल रही हूँ जो तुम सब सहते हो। मेरी जानिब से चाहते हो तमाम उम्र मेरी, ख़ुद आए रोज़ किसी आँचल में ढहते हो। ©Ritu Nisha #good_night urdu poetry deep poetry in urdu poetry lovers poetry on love