सैकड़ों मील की दूरी पर बैठे अपने नेट फ्रेंड के सुख दुःख में, बेटा शामिल हो सकता है, सहानुभूति व्यक्त कर सकता है घण्टों फेसबुक पर उसे सांत्वना दे सकता है किन्तु खड़ी लहलहाती फसल जो वर्षा के पानी मे डूब गई इस चिंता में डूबे अपने बाप का फेस नहीं दिखता उसे क्योकि लॉगइन किये बिना वह शेयर नहीं कर सकता अपनी भावनाओं को और भावावेग का यह दौर लॉग आउट होने तक ही बरकरार रहता है... खैर,यहां घर में, वह लॉग इन कर भी ले, लेकिन लॉग आउट का विकल्प ही नहीं होता सायद इसलिए बेटा लॉग इन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता...। #रसिक