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कोइ जाकर कह दो कबीरा से झीनी चदरिया अब छ

कोइ  जाकर  कह   दो  कबीरा  से 
झीनी  चदरिया  अब  छिद्रित  हो  चुकी 
महक  जिन्दगी  की  खो  चुकी  हैँ 
जीवन  मूल्य  संक्रमण  के नैराश्य  मे  
पहुंच  चुके  और 
सुख सारे   स्थाई   तौर  पर  
अस्वस्थ  हुए  हैँ 
अब  हम  कैसे  कहे जिन्दगी से 
"थोड़ा  थिरक  कर  दिखा "....? झीनी  चदरिया
कोइ  जाकर  कह   दो  कबीरा  से 
झीनी  चदरिया  अब  छिद्रित  हो  चुकी 
महक  जिन्दगी  की  खो  चुकी  हैँ 
जीवन  मूल्य  संक्रमण  के नैराश्य  मे  
पहुंच  चुके  और 
सुख सारे   स्थाई   तौर  पर  
अस्वस्थ  हुए  हैँ 
अब  हम  कैसे  कहे जिन्दगी से 
"थोड़ा  थिरक  कर  दिखा "....? झीनी  चदरिया