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आँचल मैं नन्ही सी जान जब इस दुनिया में आयी, क्या प

आँचल मैं नन्ही सी जान जब इस दुनिया में आयी,
क्या पता था रिश्तों-नातों का मोह मुझे,
मैं तो रोती बिलखती रही कि कहां भेजा ऐ खुदा! तूने मुझे,
फिर कुछ अजीब हुआ, 
जिसका एहसास आज अजीज हुआ, 
एक भीनी सी आँखों वाली चेहरे पर मुस्कान की लाली,
 जिस्म मे बची ना जिसके जान थी ,
पर हिम्मत उसकी परवान थी, 
वो बढ़ी थी मेरी ओर कुछ पाने को, 
मैं डरी सहमी बेचैन सी थी 'कौन है ये' जानने को, 
मुझे क्या एहसास था कि वो बेकरार है मुझपर अपनी ममता लुटाने को। 
उसने मुझे अपनी बाहों में पकड़ा 
और सीने से लगा कसके जकड़ा। 
अब मैं भूल चुकी थी उस बेचैनी को, 
जिसने सवाल किया था उसके होने को। 
वो मेरे जिस्म को छूकर माथे को चूम कर मेरे होने का एहसास करती, 
और मैं निश्चिंतता से उसके प्रेम का रसपान  करती। 
फ़िर कुछ यूँ हुआ कि मैं ढक सी गयी थी , 
जिस भूख का एहसास मैं अपने अंदर दबाये थी वो समझ सी गई थी। 
मेरी भूख मिटाने को, 
तैयार थी वो अपनी लहू का दुग्ध धार बनाने को। 
भूख तो मेरी मिटी थी, 
परंतु तृप्ति उसे मिली थी। 
हुआ ये हसीन वाकिया जिस पर्दे तले उसे आंचल कहती है दुनिया। 
और सौभाग्य मेरा कि ये आंचल भी उस हसीन स्त्री का जिसे माँ! कहती है दुनिया। #माँ का आँचल
आँचल मैं नन्ही सी जान जब इस दुनिया में आयी,
क्या पता था रिश्तों-नातों का मोह मुझे,
मैं तो रोती बिलखती रही कि कहां भेजा ऐ खुदा! तूने मुझे,
फिर कुछ अजीब हुआ, 
जिसका एहसास आज अजीज हुआ, 
एक भीनी सी आँखों वाली चेहरे पर मुस्कान की लाली,
 जिस्म मे बची ना जिसके जान थी ,
पर हिम्मत उसकी परवान थी, 
वो बढ़ी थी मेरी ओर कुछ पाने को, 
मैं डरी सहमी बेचैन सी थी 'कौन है ये' जानने को, 
मुझे क्या एहसास था कि वो बेकरार है मुझपर अपनी ममता लुटाने को। 
उसने मुझे अपनी बाहों में पकड़ा 
और सीने से लगा कसके जकड़ा। 
अब मैं भूल चुकी थी उस बेचैनी को, 
जिसने सवाल किया था उसके होने को। 
वो मेरे जिस्म को छूकर माथे को चूम कर मेरे होने का एहसास करती, 
और मैं निश्चिंतता से उसके प्रेम का रसपान  करती। 
फ़िर कुछ यूँ हुआ कि मैं ढक सी गयी थी , 
जिस भूख का एहसास मैं अपने अंदर दबाये थी वो समझ सी गई थी। 
मेरी भूख मिटाने को, 
तैयार थी वो अपनी लहू का दुग्ध धार बनाने को। 
भूख तो मेरी मिटी थी, 
परंतु तृप्ति उसे मिली थी। 
हुआ ये हसीन वाकिया जिस पर्दे तले उसे आंचल कहती है दुनिया। 
और सौभाग्य मेरा कि ये आंचल भी उस हसीन स्त्री का जिसे माँ! कहती है दुनिया। #माँ का आँचल
monikasingh3271

Monika singh

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