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मेरी महबूबा की आँखों में वो रौशनी, जो आफताब की चमक

मेरी महबूबा की आँखों में वो रौशनी, जो आफताब की चमक को भी मात दे।
उसकी सांसों की खुशबू, बगदाद के अत्तार की महक को धुंधला दे।
उसकी आवाज़ में वो जादू , हर लय उसकी ज़ुबां से जन्म ले।
उसके होठों की सुरख़ी गहरी, खुद शबनम उसमें बसी हो जैसे।
गुलाब की नज़ाकत भी पड़े फीकी, उसके गालों की रंगत के आगे।
खुदा की क़सम, मेरा इश्क़ ऐसा बेहतरीन और बेमिसाल है।
जो न किसी झूठी तारीफ का मोहताज है। 
न किसी क़सीदे का, वो खुद हुस्न की मिसाल है।

©नवनीत ठाकुर #महबूब
मेरी महबूबा की आँखों में वो रौशनी, जो आफताब की चमक को भी मात दे।
उसकी सांसों की खुशबू, बगदाद के अत्तार की महक को धुंधला दे।
उसकी आवाज़ में वो जादू , हर लय उसकी ज़ुबां से जन्म ले।
उसके होठों की सुरख़ी गहरी, खुद शबनम उसमें बसी हो जैसे।
गुलाब की नज़ाकत भी पड़े फीकी, उसके गालों की रंगत के आगे।
खुदा की क़सम, मेरा इश्क़ ऐसा बेहतरीन और बेमिसाल है।
जो न किसी झूठी तारीफ का मोहताज है। 
न किसी क़सीदे का, वो खुद हुस्न की मिसाल है।

©नवनीत ठाकुर #महबूब