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पल्लव की डायरी कितने थपेड़ो को खाकर राह चुननी पड़ती

पल्लव की डायरी
कितने थपेड़ो को खाकर
राह चुननी पड़ती है
जिंदगी आसान नही है
कितनो से लड़कर
चंद ख़ुशियाँ भरनी पड़ती है
कल कही समेट ना ले कोई
हर मौसम में
हिम्मत जीने की देनी पड़ती है
कभी समझौते कभी झुककर
सलामी जिंदगी को देनी पड़ती है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
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