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तब मेरी कद्र नहीं की, अब आंसू क्यों बहाते हो, मैं


तब मेरी कद्र नहीं की, अब आंसू क्यों बहाते हो,
मैं तो नहीं हूं तुम्हारी पलकों पे,किसे सजाते हो,
तुम जैसे भी थे मेरे दिलको बहुत अच्छे लगते थे,
संवरते हो किसके लिये,किसके लिये नहाते हो,

©Sheel Sahab
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