अन्याय अत्याचार और दास्तव तों पिछली पीडिया देख चुकी हैँ अब तों आतंक व्यभिचार और भृष्टाचार नई पीड़ी के लिये अभीशाप बन कर पसर रहा हैँ ©Parasram Arora अभिशाप....