ये स्वप्न ज़ो मैं देख रहा हूंआज कदाचित भूमिका बन कर आया है उन अंदखे संभावित सपनो की ज़ो मुझे आने वाली अगली रातो मे देखने है l जबकि यथार्थ मुझे कुछ ही दूरी पर दिखाई दिया था ज़ो विध्वंस क़े कगार पर खड़ा होकर मुझे अंगूठा दिखा कर मेरी प्रवचनाओं का परिहास. कर सकता है l शायद मुझे भिक्षापात्र लेकर सत्य की भीख माँगने हेतु हर उस चौखट पर जाना पड़ेगा जिन्होंने सत्य क़े झंडे अपने अपने आँगन मे गाड़ रखे हैँ ©Parasram Arora सत्य क़े झंडे......