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एक बार पढ़े जब कोई दिल के बहुत नज़दीक आकर ऐसा महसू

एक बार पढ़े  
जब कोई दिल के बहुत नज़दीक आकर ऐसा महसूस हो की वो जाना चाहता है और नजरअंदाज करता है तो फिर क्यों पकड़ो उसे जाने दो, जीने दो उसे धीरे धीरे.....
बिना उसके महसूस हुये उससे दूर हो क्योंकी उसको दुःख क्यों हो .....और पता क्यों हो...
"उसका क्या बिगड़ेगा वो बेमुराबत  होगी.....""

मैं तुझसे दूर होकर भी तेरा क्या ले जाऊँगा
खुद में टूट कर अन्दर ही बिखर जाऊँगा।
तू हमेशां की तरह खुश रहेगी 
 आँगन में किसी के नई कली सी खिलेंगी
किसी के दामन में फिर नई खुश्बू सी घुलेगी
मैं कभी देख भी लूँगा तो सहम जाऊँगा
पुरानी यादों को सोच कर फिर बिखर जाऊँगा 
हिम्मत नही है कुछ कहने की....
मुझे ऐसे ही नजरअंदाज किया कर 
मैं दूर तुझसे यूँ ही रफ्ता रफ्ता हो जाऊँगा 
तेरे जीवन से खुद ही अपने सारे हर्फ मिटा जाऊँगा 
तेरे सफ़हे साफ सुथरे तुझको लौटा जाऊँगा 
मैं स्वयं ही तुझे अब छोड़ जाऊँगा 
मैं खुद ही तुझे.......
           अरूण सनाढय
   // यादों की गुल्लक से भाग 2//
        16/06/20 अनुभव खरे खरे
एक बार पढ़े  
जब कोई दिल के बहुत नज़दीक आकर ऐसा महसूस हो की वो जाना चाहता है और नजरअंदाज करता है तो फिर क्यों पकड़ो उसे जाने दो, जीने दो उसे धीरे धीरे.....
बिना उसके महसूस हुये उससे दूर हो क्योंकी उसको दुःख क्यों हो .....और पता क्यों हो...
"उसका क्या बिगड़ेगा वो बेमुराबत  होगी.....""

मैं तुझसे दूर होकर भी तेरा क्या ले जाऊँगा
खुद में टूट कर अन्दर ही बिखर जाऊँगा।
तू हमेशां की तरह खुश रहेगी 
 आँगन में किसी के नई कली सी खिलेंगी
किसी के दामन में फिर नई खुश्बू सी घुलेगी
मैं कभी देख भी लूँगा तो सहम जाऊँगा
पुरानी यादों को सोच कर फिर बिखर जाऊँगा 
हिम्मत नही है कुछ कहने की....
मुझे ऐसे ही नजरअंदाज किया कर 
मैं दूर तुझसे यूँ ही रफ्ता रफ्ता हो जाऊँगा 
तेरे जीवन से खुद ही अपने सारे हर्फ मिटा जाऊँगा 
तेरे सफ़हे साफ सुथरे तुझको लौटा जाऊँगा 
मैं स्वयं ही तुझे अब छोड़ जाऊँगा 
मैं खुद ही तुझे.......
           अरूण सनाढय
   // यादों की गुल्लक से भाग 2//
        16/06/20 अनुभव खरे खरे
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Arun Sanadya

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