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White 2122 2122 2122 212 दर्द में सहत

White 2122    2122    2122    212
दर्द   में   सहता   रहा  हूँ  मुस्कराने  के  लिये
बस तरसता  ही  रहा  हूँ  तुम्हे  पाने  के  लिये

फिर रहा दिलपे लिए रंग जख्मो का मैं अपने 
हंस के मिलता हूँ तो तुम्हे वो  दिखाने के लिये

झुक गया हूँ  ज़िन्दगी ,में अब तेरे ही बोझ से
में  यहाँ  मरता रहा  हर  बार  जीने  के  लिये

आज भी गम का में दरिया ले के बैठा हूँ यहाँ
मयकदा खुला गम - ऐ - आंसू पीने  के  लिये

उम्र-ए-रफ्ता कभी भी लौट कर आती नही है
खाब  पलती  है  नजर ता  उम्र ढोने  के लिये

खो दिया है  हौसला  खो कर तुझे हमने यहाँ
अब बचा क्या ज़िन्दगी में मुझे खोने के लिये
         ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
21/6/2017

©laxman dawani #sad_shayari #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
White 2122    2122    2122    212
दर्द   में   सहता   रहा  हूँ  मुस्कराने  के  लिये
बस तरसता  ही  रहा  हूँ  तुम्हे  पाने  के  लिये

फिर रहा दिलपे लिए रंग जख्मो का मैं अपने 
हंस के मिलता हूँ तो तुम्हे वो  दिखाने के लिये

झुक गया हूँ  ज़िन्दगी ,में अब तेरे ही बोझ से
में  यहाँ  मरता रहा  हर  बार  जीने  के  लिये

आज भी गम का में दरिया ले के बैठा हूँ यहाँ
मयकदा खुला गम - ऐ - आंसू पीने  के  लिये

उम्र-ए-रफ्ता कभी भी लौट कर आती नही है
खाब  पलती  है  नजर ता  उम्र ढोने  के लिये

खो दिया है  हौसला  खो कर तुझे हमने यहाँ
अब बचा क्या ज़िन्दगी में मुझे खोने के लिये
         ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
21/6/2017

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