तेरी नज़र मे हर बार जो मैं गलत हो जाऊं,तो क्या करू, ये सांसे रुक भी जाए कभी किसी दर्द में तेरे बगैर, और फिर भी जिंदा रहना जारी रहे, तो मै क्या करूं,, कमज़ोर लफ्ज़, मेरे जुबां में, बाकी रह जाते है अक्सर, नुमाइशे जख्म जो कभी ना कर पाऊं, तो क्या करू,, एक सैलाब सा है अश्कों का इन खुश्क आंखों में पर, जो कतरा-कतरा उसे बयां ना कर पाऊं तो, क्या करू,, ©Dr.Anupam Singh Amethia #Dranupamsingh #अश्क #दर्द #जिंदगी #सच