ओढ़ना बेहद जरूरी हैँ नकाबों को आदमी की चाह नंगी हैँ मुसीबत हैँ जिंदगी जैसे बने जीना हकीकत हैँ और बाकी सब किताबों ...की नसिहत हैँ तर्क ने कितना बदल डाला सच्चाई को पर नही मर पाया अहसास गनीमत है ©Parasram Arora नंगी चाह.........