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एक बात बनते बनते यूं बिगड़ गई है, एक घटा बेवजह ही

एक बात बनते बनते यूं बिगड़ गई है,
एक घटा बेवजह ही हम पे यूं उमड़ गई है,
खाली हो गई है मोहब्बत की बस्ती भी,
सुनने में आया है कि ये बस्ती भी उजड़ गई है,
वो भी आजकल जिक्र ए जुदाई की बाते करती हैं मुझसे,
लगता है वो भी हमसे बिछड़ गई हैं 

मेरे कलम की नोक थरथराने लगी है,
इसकी स्याही भी अब निचुड़ गई है,
कितना संभालकर रखू तेरी बातों को,
एक बात तो बनते बनते बिगड़ गई है।

©Decent Moni
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