पाठ मुझे इश्क का, पढ़ा तो सही, नैन जरा मुझसे, लड़ा तो सही। थोड़ा बहुत सुन रखा है, बारे में मोहब्बत के, थोड़ी बहुत करनी भी, सीखा तो सही। सुना है तजुर्बा तेरा, काफी हो चुका है अब, रंग थोड़ा तजुर्बे का, दिखा तो सही। दिल का पंछी देख के तुझको,फडफडाता बहुत है, कर शिकार,तीर नजर का, चला तो सही। सुना है कईयों से, तेरा लहजा बहुत नशीला है, कभी 2-4 जाम हमको भी, पिला तो सही। "ओमबीर काजल" मुर्गा खुद, तैयार है हलाल को, जान की परवाह नहीं, बस तु मुझे खा तो सही। ©Ombir Kajal पाठ इश्क का