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ज़माने भर का शोर ख़ुद में समेटकर खामोश हो गया हूँ

ज़माने भर का शोर
ख़ुद में समेटकर
खामोश हो गया हूँ
ख़ुद को खोकर
ना जाने कहीं
पराया सा
हो गया हूँ
नहीं रास आती
सर्द हवाएं अब
खिड़कियां बन्द करके 
यादों की गर्माहट में
कहीं गुम
हो गया हूँ


Vidhya
Anamya

©Vidhya Choudhary #jharokha
ज़माने भर का शोर
ख़ुद में समेटकर
खामोश हो गया हूँ
ख़ुद को खोकर
ना जाने कहीं
पराया सा
हो गया हूँ
नहीं रास आती
सर्द हवाएं अब
खिड़कियां बन्द करके 
यादों की गर्माहट में
कहीं गुम
हो गया हूँ


Vidhya
Anamya

©Vidhya Choudhary #jharokha