ज़माने भर का शोर ख़ुद में समेटकर खामोश हो गया हूँ ख़ुद को खोकर ना जाने कहीं पराया सा हो गया हूँ नहीं रास आती सर्द हवाएं अब खिड़कियां बन्द करके यादों की गर्माहट में कहीं गुम हो गया हूँ Vidhya Anamya ©Vidhya Choudhary #jharokha