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झील सी उसकी आंखों में मैं डूब जाना चाहता हूं रेशमी

झील सी उसकी आंखों में मैं डूब जाना चाहता हूं
रेशमी बालों से उसके खेलना मैं चाहता हूं
उसको हंसते हुए देखता हूं मैं सब कुछ भूल जाता हूं
और ख्वाहिश ये कि उसकी गोद में रखकर सर उसे मैं अपनी गजलें सुनाना चाहता हूं!!

सुनाकर शायरी अपनी मैं उससे वाह सुनना चाहता हूं
उसकी आगोश में बैठे हुए दीदार उसका चाहता हूं!!

चाहता हूं बेशुमारी, प्यार में उसकी बेकरारी, इजहार उसके लब करे
मैं एक बार उससे प्यार के अल्फाज सुनना चाहता हूं!!

प्यार वो मुझसे करे साथ में मेरे जिए हाथ मेरा थामकर साथ में मेरे चले 
प्यार में उसके मैं यारो हद से गुजरना चाहता हूं!!

यूं तो इश्क में फना हुए आशिक कई पर मुझे यादों का कारवां मंजूर नहीं
इसलिए मैं उसकी यादों में नही उसके साथ जीना चाहता हूं!!

और वैसे तो ये सब सिर्फ एक सपना है जिसे मैं साकार करना चाहता हूं
उसकी गोद में रखकर सर अपना मैं उसे अपनी गजलें सुनाना चाहता हूं!!

कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi
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