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"ग़ज़ल" ********* है शुकराना तेरा.. जो तुमने मुझे ज

"ग़ज़ल"
*********

है शुकराना तेरा.. जो तुमने मुझे जीने की एक वजह दे दी..
न रही कोई भी ख़लिश.. आज इतनी मुहब्बत मुझे दे दी..!

तर हो गया जिस्म का जर्रा-जर्रा मेरा.. आज इश्क़ की बारिश पाकर..
की हया से झुकी मेरी पलकों को हँसी रात की सौगात दी दी..!

रूहानी हुई ज़िन्दगी घुलकर बेपनाह मोहब्बत के सुरूर-ए-बेबाक़ संग..
रात के दामन में बरसती रिमझिम ऑंखें को ख़्वाहिशों की लगाम दे दी..!

तन को और भी महका कर रूह तक अपनी इश्क़ की खुशबू बिखेर कर..
सुर्ख होठों को मुस्कुराहट और धड़कनों को सरगम दे दी..!

रंग-ए-मोहब्बत को भरकर "ऋषिका" के रोम-रोम में हमनशीं..
उफ़्फ़.. क़ैद कर मुझे अपनी आग़ोश में आशिक़ी संगीन दे दी..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"
  #ग़ज़ल
#Rishika