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मन को भय है मेरे....कठोरता से.....अडिगता से......

मन को भय है मेरे....कठोरता से.....अडिगता से......
पाषाण होने से............

शायद मुझे स्वयं के लिए कुछ ऐसा भाता है जिसे मिटाया जा सके.......जो नश्वर हो....जो निश्चित तक का न हो....
या यूं कहें कि जो सरल हो...........

जानते हो........
आज भी कलम से ज्यादा पेंसिल ध्यान खींचती है.............

©Pushpvritiya इसी सरलता हेतु स्वयं को काष्ठ का कठोर 
बनाए रखा है
pushpad8829

Pushpvritiya

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इसी सरलता हेतु स्वयं को काष्ठ का कठोर बनाए रखा है

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