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दो मनुष्यों के बीच मतभेद विकार और अलगाव होना मान

 दो मनुष्यों के बीच मतभेद विकार और अलगाव होना 
मानव जाति की साधारण सी क्रिया है , संभवतया वाणी और व्यवहार ही इनके मुख्य दो कारण बनते हैं । 
 उसने ऐसा कह दिया फिर मैंने ऐसा कहा उसने ऐसा कर दिया फिर मैंने वैसा किया ।
सत्य यह नहीं है , परम सत्य यह है की अपने धर्म की हानि हुई है
 हमने आपस में एक दूसरे के विचार को एक दूसरे पर हावी होने दिया और एक दूसरों के ही विकल्पों का अनुसरण किया । 
जबकि  वक्ता और व्यक्ता को दोनों को पूर्ण अधिकार है कि
 वह अपनी योग्यता , मनोविचार और संस्कार के हिसाब से ही  शब्दों का चयन और व्यवहार का अनुकरण करेंगे । 
जैसे रोग व व्याधि जिस तन में रहती है पीड़ा का अनुभव भी वह स्वयं करती है ।
 इसलिए कभी भी किसी भी मनुष्य की कटु वाणी और दुर्व्यवहार का अपने ऊपर असर न होने दें , 
अपने मनो मस्तिष्क पर अपना संतुलन बनाएं रखें , सदैव अपने अंतःकरण की शीतलता को बरकरार रखें और  हमेशा सर्वप्रथम अपने धर्म को ध्यान में रखते हुए अपने कर्मों का निष्पादन करें ।

©Amar Anand
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