मेरी हथेलियों क़ी चिकनाहट मे मेरी लकीरे फिसल रही है शायद इसीलिए अपनी किस्मत का फैसला अपने हक मे नहीः हुआ है नफरत के ज़हरीले बीजो मे पूरी बस्ती.को विषैला बना दिया है इसिलए प्यार क़ी मिठास का भी कड़वाहट मे रूपांतरण हो गया है ©Parasram Arora रूपांतरण