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रिश्ता अब रिश्तों की जड़ काट रहें हैं , अपने अपनो

रिश्ता अब रिश्तों की जड़ काट रहें हैं ,
अपने अपनो में जहर बाँट रहे हैं ,
भूख मिटती नहीं लालच की,
रिश्ते अपने दूरकर ,कुत्ते से मुँह चाटवा रहें हैं ।


ख़ून ख़ून मुहब्बत की जड़ काट रहे हैं ,
जुबान अपनो के लिये ज़हर उगल रहे हैं ,
तहरिस निगल रहीं सारे रिश्ते नाते मानव की,
कंक्रीट की औकाद से बड़ी दीवारें तन्हा चाट रहे हैं ।

बादलों से अब कुरीतियां मानो बरसने लगी है ,
भेड़ियों की आँधियां बढ़ने लगी है,
 नन्हीं- मुन्नी तितलियां भी अब तो बेख़ौफ़ नहीं ,
छः आठ साल की पाक रूह हवस की भेंट चढ़ने लगी है।

लूट लो चाहे कितना भी, काफी नहीं है ?
जन्नत यहीं जहन्नुम यहीं तेरे करर्मों की भोग यहीं है ,
माना नोंच लिया है सब रोम रोम अपनो के अपनों ने, 
घात छोड़ा जो अगली पीढ़ी के लिये नफ़रत काफी नहीं है।

#निशीथ

©Nisheeth pandey
  #Problems 
रिश्ता अब रिश्तों की जड़ काट रहें हैं ,
अपने अपनो में जहर बाँट रहे हैं ,
भूख मिटती नहीं लालच की,
रिश्ते अपने दूरकर ,कुत्ते से मुँह चाटवा रहें हैं ।


ख़ून ख़ून मुहब्बत की जड़ काट रहे हैं ,

#Problems रिश्ता अब रिश्तों की जड़ काट रहें हैं , अपने अपनो में जहर बाँट रहे हैं , भूख मिटती नहीं लालच की, रिश्ते अपने दूरकर ,कुत्ते से मुँह चाटवा रहें हैं । ख़ून ख़ून मुहब्बत की जड़ काट रहे हैं , #lovequotes #Remember #adventure #कविता #Likho #walkalone #Streaks #निशीथ #Tuaurmain #BhagChalo

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