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सबकी नजर बचा के भाग-दौड़ वाली जिंदगी से दो चार पल स

सबकी नजर बचा के भाग-दौड़ वाली जिंदगी से
दो चार पल समेट लिए थे,
बंद कर लिए थे, अपनी मुट्ठी में,
सोचा था जब फुर्सत होगी तब इसे जी लूँगी।
अचानक लगा कि किसीने पॉकेट मार ली हो।


समय ने समय ही नहीं दिया, 
सहेजे पलों को जीने का। #समय ने समय ही नहीं दिया, 
सहेजे पलों को जीने का #
सबकी नजर बचा के भाग-दौड़ वाली जिंदगी से
दो चार पल समेट लिए थे,
बंद कर लिए थे, अपनी मुट्ठी में,
सोचा था जब फुर्सत होगी तब इसे जी लूँगी।
अचानक लगा कि किसीने पॉकेट मार ली हो।


समय ने समय ही नहीं दिया, 
सहेजे पलों को जीने का। #समय ने समय ही नहीं दिया, 
सहेजे पलों को जीने का #