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दृढ़ता ओर किसान बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है

दृढ़ता ओर किसान
   
बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है
इस साल अपनी मेहनत में आग लगाते  किसानों को देखा है।
अरमानो को सींचते सींचते जो उम्मीद को घर ले आता है
उन अरमानो की एक एक मूल को जलते देखा है।
बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है
त्योहारों की रौनक भी जिसकी मेहनत से ही  चमकती है
अरे इस बार तो उन किसानों के साथ त्योहारों को भी रोते देखा है।
बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है
इतना सब कुछ हो जाने पर भी , वह दृढ़ता को जीता है 
फिर भी मेने भविष्य की स्वर्णिम आस लिए हुए वर्तमान को जीते देखा है।
बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है
                                 प्रवीण मगर किसान भारत का अन्नदाता
दृढ़ता ओर किसान
   
बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है
इस साल अपनी मेहनत में आग लगाते  किसानों को देखा है।
अरमानो को सींचते सींचते जो उम्मीद को घर ले आता है
उन अरमानो की एक एक मूल को जलते देखा है।
बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है
त्योहारों की रौनक भी जिसकी मेहनत से ही  चमकती है
अरे इस बार तो उन किसानों के साथ त्योहारों को भी रोते देखा है।
बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है
इतना सब कुछ हो जाने पर भी , वह दृढ़ता को जीता है 
फिर भी मेने भविष्य की स्वर्णिम आस लिए हुए वर्तमान को जीते देखा है।
बेउम्मीद होते अरमानो को देखा है
                                 प्रवीण मगर किसान भारत का अन्नदाता