दरिया भी सागर के चाह में। पहाड़ों,पत्थरों से टकराता है। घायल कितना होता है फिर भी तिनका भर भी न घबड़ाता है। दरिया से सीखें संघर्ष जीवन का। बाधाओं से न राह में रह जाता है। दरिया भी सागर के चाह में। संघर्षों के गीत गाता चला जाता है। वक्त न गवाता है राह में। पल पल बढ़ता जाता है। दरिया भी सागर के चाह में ---------- ©Narendra kumar #riverside