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इंतजार में पीली पड़ गई थी टूट कर धरासाई हो रही थी फ

इंतजार में पीली पड़ गई थी
टूट कर धरासाई हो रही थी
फिर चली बसन्ती बयार
पलव्वित होने लगा प्यार
धरा पीले रंग में सजने लगी
सूर्य की लालिमा रचने लगी
प्रेमी युगल फिर चहकने लगे
गुलों के इत्र फिर महकने लगे
शबनम की बूंदें पिघलने लगी
मिलन की आग सुलगने लगी
आया फिर मौसम पलाश का 
प्रेम के रंगों के एहसास का।
©अलका मिश्रा

©alka mishra
  #पलाश