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इस नाटकीय हंसी के प्रदर्शन ने तुम्हारी शक्ल

इस  नाटकीय  हंसी  के  प्रदर्शन  ने 
तुम्हारी  शक्ल को  विजातीय  बना दिया हैँ 
क्योंकि   तुम्हारा  अब तक  अभ्यास  और  इतिहास 
रोदन  का  ही  रहा  हैँ  और  नहीं  रहा  कभी  तुम्हारा  परिचय  हंसी की  गली से 
अगर तुम  गलती से भी कभी हँसे होंगे  तो  तुम्हारी उस  हंसी के पाशर्व मे  रूदन   की छाया अवश्य रही होंगी क्योंकि  उस हंसी   मे  न  रही होंगी  स्वछंदता   कभी 
क्योंकि  तुम्हारी वो  हंसी  कभी  तुम्हारे  ह्रदय    
  की  गहराइयों  से  न निकली होंगी नाटकीय  हंसी
इस  नाटकीय  हंसी  के  प्रदर्शन  ने 
तुम्हारी  शक्ल को  विजातीय  बना दिया हैँ 
क्योंकि   तुम्हारा  अब तक  अभ्यास  और  इतिहास 
रोदन  का  ही  रहा  हैँ  और  नहीं  रहा  कभी  तुम्हारा  परिचय  हंसी की  गली से 
अगर तुम  गलती से भी कभी हँसे होंगे  तो  तुम्हारी उस  हंसी के पाशर्व मे  रूदन   की छाया अवश्य रही होंगी क्योंकि  उस हंसी   मे  न  रही होंगी  स्वछंदता   कभी 
क्योंकि  तुम्हारी वो  हंसी  कभी  तुम्हारे  ह्रदय    
  की  गहराइयों  से  न निकली होंगी नाटकीय  हंसी