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हर दर्द ने मुझसे कहा, अब रुक जा, मैंने हंसकर जवाब

हर दर्द ने मुझसे कहा, अब रुक जा,
मैंने हंसकर जवाब दिया, बस थोड़ा और झुक जा।

हार और जीत का फ़र्क समझ लिया मैंने,
गिरकर भी उठने का हुनर सीख लिया मैंने।

हवा के रुख़ से कभी डर नहीं लगता मुझे,
मेरी मंज़िल ने मेरे इरादों को आज़मा लिया है।

हर जख्म ने मेरे हौसले को और गहरा किया,
हर दर्द ने मेरी जीत का रास्ता दिखा दिया।

अब तूफ़ान भी मुझसे सहम कर गुजरते हैं,
मेरे इरादों से ज़माने के नक़्शे बदलते हैं।

जहाँ कांटे बिछाए गए थे मेरे रास्तों में,
वहीं मैंने अपने सपनों के फूल खिला दिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर दर्द ने मुझसे कहा, अब रुक जा,
मैंने हंसकर जवाब दिया, बस थोड़ा और झुक जा।

हार और जीत का फ़र्क समझ लिया मैंने,
गिरकर भी उठने का हुनर सीख लिया मैंने।

हवा के रुख़ से कभी डर नहीं लगता मुझे,
हर दर्द ने मुझसे कहा, अब रुक जा,
मैंने हंसकर जवाब दिया, बस थोड़ा और झुक जा।

हार और जीत का फ़र्क समझ लिया मैंने,
गिरकर भी उठने का हुनर सीख लिया मैंने।

हवा के रुख़ से कभी डर नहीं लगता मुझे,
मेरी मंज़िल ने मेरे इरादों को आज़मा लिया है।

हर जख्म ने मेरे हौसले को और गहरा किया,
हर दर्द ने मेरी जीत का रास्ता दिखा दिया।

अब तूफ़ान भी मुझसे सहम कर गुजरते हैं,
मेरे इरादों से ज़माने के नक़्शे बदलते हैं।

जहाँ कांटे बिछाए गए थे मेरे रास्तों में,
वहीं मैंने अपने सपनों के फूल खिला दिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर दर्द ने मुझसे कहा, अब रुक जा,
मैंने हंसकर जवाब दिया, बस थोड़ा और झुक जा।

हार और जीत का फ़र्क समझ लिया मैंने,
गिरकर भी उठने का हुनर सीख लिया मैंने।

हवा के रुख़ से कभी डर नहीं लगता मुझे,